DA Hike: केंद्र सरकार ने कर्मचारियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। जहां केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी महंगाई भत्ते (डीए) में 3 से 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद लगाए बैठे थे, वहीं सरकार ने मात्र 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। यह पिछले सात वर्षों में महंगाई भत्ते में हुई सबसे कम वृद्धि है। इस निर्णय से देशभर के लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को निराशा हुई है, क्योंकि उन्हें अपने वेतन में अपेक्षित बढ़ोतरी नहीं मिल पाएगी।
महंगाई भत्ता कर्मचारियों के वेतन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिसे बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए समय-समय पर संशोधित किया जाता है। सामान्यतः हर छह महीने में – जनवरी और जुलाई में – सरकार महंगाई भत्ते में संशोधन करती है। इस बार की घोषणा कर्मचारियों के लिए निराशाजनक रही है क्योंकि वे बढ़ती महंगाई के बीच अपने वेतन में अच्छी-खासी वृद्धि की आशा कर रहे थे।
मौजूदा स्थिति: 53 से बढ़कर 55 प्रतिशत हुआ महंगाई भत्ता
जुलाई 2024 से केंद्रीय कर्मचारियों को उनके मूल वेतन का 53 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा था। अब जनवरी 2025 से यह बढ़कर 55 प्रतिशत हो जाएगा। यह वृद्धि अपेक्षाकृत इतनी कम है कि इससे कर्मचारियों को वित्तीय स्थिति में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं आएगा। सरकार ने इस बढ़ोतरी को जनवरी 2025 से प्रभावी माना है, और जनवरी से फरवरी के बकाया भत्ते (एरियर) का भुगतान मार्च 2025 की वेतन के साथ करने का निर्णय लिया है।
इस बढ़ोतरी के बाद भी कर्मचारियों को अपेक्षित वित्तीय लाभ नहीं मिल पाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई की वर्तमान दर को देखते हुए, महंगाई भत्ते में 2 प्रतिशत की वृद्धि बहुत कम है और इससे कर्मचारियों की वास्तविक आय में कोई खास सुधार नहीं आएगा। विशेष रूप से, जब पिछले कुछ वर्षों में आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में लगातार वृद्धि देखी गई है।
सात वर्षों में सबसे कम वृद्धि: ऐतिहासिक परिदृश्य
यह महंगाई भत्ते में वृद्धि पिछले सात वर्षों में सबसे कम है। आमतौर पर, केंद्र सरकार हर छह महीने में महंगाई भत्ते में 3 से 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी करती आई है। इस प्रकार की नियमित वृद्धि से कर्मचारियों को बढ़ती महंगाई से निपटने में मदद मिलती थी। लेकिन इस बार, केवल 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी ने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को निराश किया है।
पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी 2023 में महंगाई भत्ते में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जुलाई 2023 में 3 प्रतिशत, जनवरी 2024 में 4 प्रतिशत और जुलाई 2024 में 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इस प्रकार, जनवरी 2025 की 2 प्रतिशत की वृद्धि पिछले कई वर्षों की तुलना में काफी कम है। यह ट्रेंड कर्मचारियों के लिए चिंताजनक है, क्योंकि इससे उनकी क्रय शक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
कम वृद्धि का कारण: AICPI आंकड़ों का विश्लेषण
महंगाई भत्ते का निर्धारण ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (AICPI) के आंकड़ों के आधार पर किया जाता है। यह सूचकांक औद्योगिक कर्मचारियों के लिए खुदरा मूल्य स्तर को मापता है और इसका उपयोग महंगाई भत्ते की गणना के लिए किया जाता है। जुलाई से दिसंबर 2024 के छह महीनों के दौरान औसत AICPI स्कोर के अनुसार, महंगाई भत्ता 55.99 प्रतिशत होना चाहिए था।
हालांकि, सरकारी नियमों के अनुसार, महंगाई भत्ते में वृद्धि पूर्ण अंकों में की जाती है, न कि दशमलव में। चूंकि 55.99 प्रतिशत, 56 प्रतिशत के पूर्ण अंक तक नहीं पहुंच पाया, इसलिए सरकार ने महंगाई भत्ते को 55 प्रतिशत पर ही रखा। यदि AICPI स्कोर थोड़ा और अधिक होता, तो कर्मचारियों को 56 प्रतिशत का महंगाई भत्ता मिलता, जो अपेक्षाकृत बेहतर होता।
दिलचस्प बात यह है कि नवंबर 2024 तक के आंकड़ों के आधार पर, 3 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद थी। लेकिन दिसंबर 2024 के AICPI आंकड़ों ने इस संभावना को समाप्त कर दिया। दिसंबर में AICPI में अप्रत्याशित गिरावट ने महंगाई भत्ते की गणना को प्रभावित किया, जिससे वृद्धि 3 प्रतिशत के बजाय 2 प्रतिशत ही रह गई।
वेतन पर प्रभाव: कितना बढ़ेगा कर्मचारियों का वेतन
महंगाई भत्ते में 2 प्रतिशत की वृद्धि से कर्मचारियों के वेतन में मामूली बढ़ोतरी होगी। यदि किसी कर्मचारी का मूल वेतन 18,000 रुपये है, तो उसे पहले 53 प्रतिशत की दर से 9,540 रुपये महंगाई भत्ता मिल रहा था। अब, 55 प्रतिशत की दर से, उसे 9,900 रुपये महंगाई भत्ता मिलेगा। इस प्रकार, महंगाई भत्ते में मात्र 360 रुपये की वृद्धि होगी।
उच्च वेतन वर्ग के कर्मचारियों के लिए, बढ़ोतरी की राशि अधिक होगी, लेकिन प्रतिशत के हिसाब से प्रभाव समान ही रहेगा। उदाहरण के लिए, 56,900 रुपये के मूल वेतन वाले कर्मचारी को पहले 30,157 रुपये का महंगाई भत्ता मिल रहा था (53 प्रतिशत की दर से)। अब, 55 प्रतिशत की दर से, उन्हें 31,295 रुपये महंगाई भत्ता मिलेगा। इसका अर्थ है 1,138 रुपये की वृद्धि, जो कि उनके कुल वेतन का मामूली हिस्सा है।
पेंशनभोगियों के लिए भी स्थिति बहुत अलग नहीं है। यदि किसी पेंशनभोगी की मूल पेंशन 9,000 रुपये है, तो उन्हें पहले 53 प्रतिशत की दर से 4,770 रुपये दिया जा रहा था। अब, 55 प्रतिशत की दर से, उन्हें 4,950 रुपये मिलेंगे, जो कि केवल 180 रुपये की वृद्धि है। यह वृद्धि बढ़ती महंगाई के मुकाबले बहुत कम है और पेंशनभोगियों को इससे उल्लेखनीय राहत नहीं मिलेगी।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया: निराशा और नाराजगी
इस कम बढ़ोतरी से कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में निराशा और नाराजगी का माहौल है। कई कर्मचारी संगठनों ने इस कम वृद्धि पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि बढ़ती महंगाई के मुकाबले 2 प्रतिशत की वृद्धि बहुत कम है और इससे कर्मचारियों की वास्तविक आय में कमी आएगी।
कई कर्मचारियों का मानना है कि सरकार ने उनकी आर्थिक जरूरतों की अनदेखी की है। वे महसूस करते हैं कि महंगाई भत्ते की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले AICPI आंकड़े वास्तविक महंगाई को सही तरीके से प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। उनका तर्क है कि रोजमर्रा की जरूरतों जैसे खाद्य पदार्थ, परिवहन, स्वास्थ्य सेवाओं, और शिक्षा की लागत में भारी वृद्धि हुई है, जिसे AICPI पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करता।
कुछ कर्मचारी संगठनों ने सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने और महंगाई भत्ते में कम से कम 3 प्रतिशत की वृद्धि करने की मांग की है। उनका कहना है कि 2 प्रतिशत की वृद्धि से कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को वास्तविक राहत नहीं मिलेगी और उनकी आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
महंगाई भत्ते की गणना कैसे होती है
महंगाई भत्ते की गणना एक विशिष्ट फॉर्मूले के आधार पर की जाती है, जिसमें AICPI एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह फॉर्मूला 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों पर आधारित है और इसका उपयोग 2016 से किया जा रहा है।
महंगाई भत्ते की गणना के लिए, पहले AICPI के औसत को लिया जाता है। जनवरी के महंगाई भत्ते के लिए, जुलाई से दिसंबर के छह महीनों के औसत AICPI को लिया जाता है। इसी प्रकार, जुलाई के महंगाई भत्ते के लिए, जनवरी से जून के छह महीनों के औसत AICPI को लिया जाता है।
फिर, इस औसत AICPI को 7वें वेतन आयोग के आधार वर्ष (2016) के AICPI से विभाजित किया जाता है और फिर 100 से गुणा किया जाता है। इससे प्राप्त परिणाम में से 100 घटाया जाता है, जिससे महंगाई भत्ते का प्रतिशत प्राप्त होता है। इस प्रतिशत को पूर्ण अंकों में राउंड किया जाता है।
इस पूरी प्रक्रिया में, AICPI में थोड़ी सी भी कमी या वृद्धि, महंगाई भत्ते के प्रतिशत को प्रभावित कर सकती है। इस बार, दिसंबर 2024 में AICPI में अप्रत्याशित गिरावट ने महंगाई भत्ते में वृद्धि को 3 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत कर दिया।
अन्य राज्यों का रुख: क्या अनुसरण करेंगे केंद्र सरकार की दर
केंद्र सरकार द्वारा महंगाई भत्ते में की गई बढ़ोतरी का प्रभाव सिर्फ केंद्रीय कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं रहता। आमतौर पर, कई राज्य सरकारें केंद्र के निर्णय का अनुसरण करती हैं और अपने कर्मचारियों के लिए भी इसी अनुपात में महंगाई भत्ते में वृद्धि करती हैं। हालांकि, हर राज्य की अपनी वित्तीय स्थिति और नीतियां होती हैं, इसलिए सभी राज्य एक समान दर से वृद्धि नहीं करते।
कुछ राज्यों में पहले से ही केंद्र सरकार से अधिक दर पर महंगाई भत्ता दिया जा रहा है, जबकि कुछ राज्यों में कम दर पर। इसलिए, केंद्र सरकार के इस निर्णय का प्रभाव अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होगा। कुछ राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों को अधिक राहत देने के लिए केंद्र से अधिक दर पर वृद्धि कर सकती हैं, जबकि कुछ राज्य केंद्र के समान या कम दर पर वृद्धि कर सकते हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन से राज्य केंद्र सरकार के निर्णय का अनुसरण करते हैं और कौन से राज्य अपने कर्मचारियों को अधिक राहत देने के लिए अधिक दर पर वृद्धि करते हैं।
आगे की संभावनाएं: क्या जुलाई 2025 में मिलेगी अधिक बढ़ोतरी
जनवरी 2025 में महंगाई भत्ते में कम वृद्धि के बाद, कर्मचारियों की नजरें अब जुलाई 2025 में होने वाली संभावित वृद्धि पर टिकी हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगली बार महंगाई भत्ते में अधिक वृद्धि हो सकती है। यह अनुमान जनवरी से जून 2025 के AICPI आंकड़ों पर निर्भर करेगा।
यदि इस अवधि में AICPI में उल्लेखनीय वृद्धि होती है, तो जुलाई 2025 में महंगाई भत्ते में 3-4 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। लेकिन यदि AICPI स्थिर रहता है या मामूली वृद्धि दिखाता है, तो फिर से कम वृद्धि की संभावना हो सकती है।
कुछ आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में महंगाई में कमी आने की संभावना है, जिससे AICPI में वृद्धि धीमी हो सकती है। इसका अर्थ है कि जुलाई 2025 में भी महंगाई भत्ते में बड़ी वृद्धि की उम्मीद कम है। हालांकि, अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि अभी भविष्य के AICPI आंकड़े नहीं आए हैं।
केंद्र सरकार द्वारा महंगाई भत्ते में की गई 2 प्रतिशत की वृद्धि, पिछले सात वर्षों में सबसे कम वृद्धि है। इससे केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप लाभ नहीं मिल पाएगा। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार महंगाई भत्ते में कम से कम 3-4 प्रतिशत की वृद्धि होगी, लेकिन 2 प्रतिशत की वृद्धि ने उन्हें निराश किया है।
महंगाई भत्ते में यह कम वृद्धि कर्मचारियों के वेतन में मामूली बढ़ोतरी ही कर पाएगी। 18,000 रुपये के मूल वेतन वाले कर्मचारी को महज 360 रुपये का इजाफा मिलेगा, जो वर्तमान महंगाई के मुकाबले बहुत कम है। इसी तरह, पेंशनभोगियों को भी मामूली वृद्धि ही मिलेगी, जो उनकी आर्थिक स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं ला पाएगी।
कुल मिलाकर, यह वृद्धि केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए निराशाजनक है। उन्हें अभी और थोड़ा इंतजार करना होगा और आशा करनी होगी कि जुलाई 2025 में महंगाई भत्ते में अधिक वृद्धि हो। तब तक, उन्हें इसी सीमित वृद्धि के साथ ही अपनी आर्थिक स्थिति को संभालना होगा।