बैंक डूबने पर कितना पैसा मिलेगा वापस, कहीं आप तो नहीं रखते खाते में इस लिमिट से ज्यादा पैसा Bank Update

Bank Update: हर व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखना चाहता है। इसलिए अधिकांश लोग अपनी जमापूंजी को बैंक खातों में रखते हैं। इससे न केवल पैसे की सुरक्षा होती है, बल्कि जमा राशि पर बैंक द्वारा दिए जाने वाले ब्याज से धन में वृद्धि भी होती है। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में भारत में कई बैंकों की आर्थिक स्थिति खराब होने की खबरें आई हैं। ऐसी स्थिति में खाताधारकों के मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि अगर उनका बैंक डूब जाए तो उनके जमा किए गए पैसों का क्या होगा? क्या उन्हें अपना सारा पैसा वापस मिल पाएगा? इस लेख में हम इसी महत्वपूर्ण विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

डिपॉजिट इंश्योरेंस क्या है?

डिपॉजिट इंश्योरेंस एक ऐसी व्यवस्था है जिसके तहत बैंक में जमा किए गए पैसों का एक निश्चित सीमा तक बीमा होता है। भारत में यह व्यवस्था डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) द्वारा संचालित की जाती है। DICGC भारतीय रिजर्व बैंक की एक सहायक इकाई है जो बैंक जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए काम करती है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अगर कोई बैंक दिवालिया हो जाता है या बंद हो जाता है, तो उसके जमाकर्ताओं को उनके जमा किए गए पैसों का एक निश्चित हिस्सा वापस मिल सके।

पहले क्या था नियम?

पिछले कई दशकों तक भारत में बैंक डूबने की स्थिति में जमाकर्ताओं को अधिकतम एक लाख रुपये ही वापस मिलते थे। यह नियम काफी पुराना था और आज के समय में, जब महंगाई बढ़ रही है और लोगों की आर्थिक जरूरतें बढ़ गई हैं, एक लाख रुपये की सीमा काफी कम थी। इससे बड़ी संख्या में बैंक जमाकर्ता प्रभावित होते थे, विशेष रूप से वे लोग जिन्होंने अपनी जीवन भर की बचत या रिटायरमेंट फंड बैंक में जमा कर रखा था।

नए नियम में क्या बदलाव आए?

सौभाग्य से, जमाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने 2021 के आम बजट में इस नियम में महत्वपूर्ण बदलाव किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव रखा, जिसके बाद इस कानून में बदलाव किया गया। नए नियम के अनुसार, बीमित रकम की सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया। यह बदलाव करीब 28 वर्षों के बाद हुआ, जिससे करोड़ों बैंक जमाकर्ताओं को बड़ी राहत मिली।

इसके अतिरिक्त, एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह किया गया कि अब जमाकर्ताओं को बैंक के पूर्ण रूप से दिवालिया होने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। अगर कोई बैंक मोरेटोरियम (अस्थायी रूप से बंद) की स्थिति में भी है, तो जमाकर्ता DICGC एक्ट के तहत अपनी रकम का दावा कर सकते हैं। इससे उन हजारों जमाकर्ताओं को राहत मिलेगी, जिनके बैंक लंबे समय तक मोरेटोरियम में रहते हैं।

कितनी रकम होगी सुरक्षित?

DICGC एक्ट, 1961 की धारा 16(1) के प्रावधानों के अनुसार, अगर कोई बैंक दिवालिया हो जाता है या बंद हो जाता है, तो DICGC प्रत्येक जमाकर्ता को उसकी जमा राशि पर अधिकतम 5 लाख रुपये तक का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है। यहां एक महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सुरक्षा प्रति जमाकर्ता प्रति बैंक के आधार पर दी जाती है, न कि प्रति खाता के आधार पर।

इसका मतलब यह है कि अगर आपका एक ही बैंक की विभिन्न शाखाओं में एक से अधिक खाता है, तो सभी खातों में जमा राशि और उस पर मिलने वाले ब्याज को जोड़कर देखा जाएगा, और अधिकतम 5 लाख रुपये तक की राशि ही सुरक्षित मानी जाएगी। इसमें मूलधन और ब्याज दोनों को शामिल किया जाता है। अगर आपकी कुल जमा राशि (मूलधन और ब्याज सहित) 5 लाख रुपये से अधिक है, तो आपको केवल 5 लाख रुपये ही मिलेंगे, बाकी राशि का भुगतान बैंक के परिसमापन प्रक्रिया के पूरा होने पर ही संभव होगा।

एक से अधिक बैंक में खाता होने पर क्या होगा?

अगर आपके पास एक से अधिक बैंकों में खाते हैं, तो अच्छी खबर यह है कि डिपॉजिट इंश्योरेंस की सुरक्षा हर बैंक के लिए अलग-अलग लागू होती है। इसका मतलब यह है कि अगर आपके पास दो अलग-अलग बैंकों में खाते हैं, तो प्रत्येक बैंक में आपकी जमा राशि पर अधिकतम 5-5 लाख रुपये का बीमा मिलेगा।

उदाहरण के लिए, अगर आपके पास बैंक A में 7 लाख रुपये और बैंक B में 6 लाख रुपये जमा हैं, और दोनों बैंक दिवालिया हो जाते हैं, तो आपको बैंक A से 5 लाख रुपये और बैंक B से भी 5 लाख रुपये मिलेंगे, कुल मिलाकर 10 लाख रुपये। हालांकि, बाकी बची 3 लाख रुपये की राशि (बैंक A से 2 लाख और बैंक B से 1 लाख) का भुगतान बैंकों के परिसमापन प्रक्रिया के पूरा होने पर ही संभव होगा।

पैसे की सुरक्षा के लिए क्या करें?

बैंक में पैसा जमा करते समय कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है, जिससे आपके पैसे की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके:

सबसे पहले, अपने पैसे को एक ही बैंक में न रखें। अपनी जमापूंजी को विभिन्न बैंकों में वितरित करें, ताकि किसी एक बैंक के दिवालिया होने पर आपका सारा पैसा जोखिम में न पड़े।

दूसरा, बैंक का चयन करते समय उसकी वित्तीय स्थिति और विश्वसनीयता की जांच करें। सरकारी बैंक या प्रतिष्ठित निजी बैंकों में पैसा जमा करना अधिक सुरक्षित होता है।

तीसरा, अपने बैंक खातों की नियमित निगरानी रखें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत बैंक को सूचित करें।

बैंकों में पैसा जमा करना आज भी सबसे सुरक्षित विकल्पों में से एक है। हालांकि, जैसा कि हमने देखा है, अगर कोई बैंक दिवालिया हो जाता है, तो भी आपका पैसा पूरी तरह से नष्ट नहीं होता। DICGC द्वारा प्रदान की जाने वाली डिपॉजिट इंश्योरेंस आपके पैसे की एक निश्चित सीमा तक सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

वर्तमान नियमों के अनुसार, प्रति जमाकर्ता प्रति बैंक 5 लाख रुपये तक की जमा राशि सुरक्षित है। इसलिए, अपनी आर्थिक सुरक्षा के लिए, अपने पैसे को विभिन्न बैंकों में वितरित करना एक बुद्धिमानी भरा कदम होगा। साथ ही, बैंक का चयन करते समय उसकी वित्तीय स्थिति और विश्वसनीयता को भी ध्यान में रखना चाहिए। इन सभी सावधानियों को बरतकर आप अपनी जमापूंजी की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं और आर्थिक रूप से सुरक्षित रह सकते हैं।

अस्वीकरण (Disclaimer)

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। जमा बीमा के नियम और शर्तें समय-समय पर बदल सकती हैं। इसलिए, कृपया नवीनतम जानकारी के लिए अपने बैंक या DICGC की आधिकारिक वेबसाइट से संपर्क करें। लेखक या प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर किए गए किसी भी निर्णय के लिए जिम्मेदार नहीं है।

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